Friday 26 February 2016

नहीं पूरे हुए गोगोई के 94 % वादे, ऐसा कोई कारण नहीं कि ब्रह्मपुत्र और बराक में ''कमल'' न खिले


अभी हाल ही में, बिहार चुनाव के समय, मैंने श्री नीतीश कुमार जी के कैंपेन में काम किया था. उसके पहले मैंने नरेन्द्र मोदी जी के चुनाव कैंपेन में भी काम किया. खेमे बदलने की मेरी क्या वजहें थीं, उसकी विवेचना के लिए एक नए आलेख की जरुरत होगी. अपने राजनीतिक विचलन के बाद मैं अब, भारतीय जनता पार्टी के साथ औपचारिक रूप से जुड़ गयी हूँ और निर्णय लिया है कि पार्टी को मेरी सीमित बौद्धिक सेवाओं कि जहाँ जरुरत पड़े, वहां पार्टी के काम आऊंगी. मेरा यह निर्णय काफी सोच समझ कर लिया गया विचारधारात्मक और सजग निर्णय है. फिलहाल, मैं असम में काम कर रही हूँ.

अगर हम असम की बात करें, तो हमें तमाम ऐसे कारण मिलेंगे जिसकी बुनियाद पर जनता पिछले 15 वर्षों से सत्ता में रही तरुण गोगोई के नेतृत्व की कांग्रेस सरकार का सामूहिक बहिष्कार करना चाहेगी. तरुण गोगोई के 94 प्रतिशत चुनावी वादे अब तक पूरे नहीं हुए. धात्व्य हो कि असम में कुल मिलकर 55 सालों तक कांग्रेस की सरकार रही है. आइये, अब कुछ तथ्यों से रुबरु कराते हैं।

 स्वतंत्रता के समय असम देश का चतुर्थ सबसे समृद्ध प्रदेश था. आज यह देश का पंचम सबसे गरीब राज्य है. असम की एक करोड़ से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है.

 ब्रह्मपुत्र की भूमि असम प्यासी है. यहाँ 96 प्रतिशत उपजाऊ जमीन में सिंचाई की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है. सिंचाई के मामले में इस प्रदेश की स्थिति देश के सबसे चिंतनीय मुद्दों में से एक है.

 असम के 42 प्रतिशत से अधिक लोगों के पास पीने के लिए साफ़ पानी नहीं है. एक ऐसा प्रदेश जहाँ वर्षा अच्छी है, जहाँ नदियों की कमी नहीं है, वहां इस तरह की स्थिति शर्मनाक है.

 असम में 23 लाख से अधिक पढ़े लिखे युवा बेरोजगार हैं. पपोन और जुबीन का प्रदेश, जहाँ कलाओं के क्षेत्र में युवाओं ने पूरी दुनिया में झंडे गाड़ रखे हैं, वहां तरुण गोगोई के सरकार की सबसे बड़ी विफलता इन युवाओं की ऊर्जा और उत्साह को कोई माध्यम नहीं देना रहा है. न ये युवा सम्मानजनक रोज़गार के लिए असम में कोई आशा देखते हैं और न ही किसी प्रकार से इनकी प्रतिभा और महत्वाकांक्षाओं को पंख देने के कोई साधन उपलब्ध हैं.

 असम में मातृ मृत्यु दर देश में सबसे ज्यादा है.

 पिछले एक साल में असम में महिलाओं पर 19000 से अधिक हिंसा की घटनाएँ सामने आई हैं.

 साक्षरता दर के लिहाज़ से असम देश के 23वें स्थान पर है.

 मानव विकास सूचकांक के तहत असम देश के सबसे नीचे पायदानों पर 16 वें स्थान पर खड़ा है.

 बागान श्रम अधिनियम, 1951 के अंतर्गत चाय बागान में काम करने वाले मजदूरों को अच्छा घर, साफ़ सफाई, बच्चों के लिए क्रेच, विद्यालयों, अनाज और स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएं मुहैया करवाने की बात थी. आजादी के 65 सालों बाद आज तक इस अधिनियम को पूर्णतः लागू नहीं किया जा सका है.

 असम में एक करोड़ से ज्यादा चाय बागानों के मजदूर हैं. चाय बागानों की इस तीसरी पीढ़ी को आज तक न घर मिला न कोई सुविधा. हालत ऐसी है कि कोई भी जब उनके बीच समस्याएं सुनने समझने जाए तो आँखें नम हो आयें. अगर सरकारी तंत्र के तहत मजदूरों के शोषण का अध्ययन करना हो, तो चाय बागानों के मजदूरों की अवस्थिति एक अनन्य मामला है.

 चाय बागानों में 90 प्रतिशत मजदूरों के पास माध्यमिक विद्यालयों की सुविधा नहीं है. 50 प्रतिशत के पास प्राथमिक विद्यालयों की सुविधा नहीं है.

 चाय बागानों में 80 प्रतिशत माताओं की मौत केवल इसलिए हो जाती हैं कि उनके पास स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं है.

 70 से 90 प्रतिशत चाय बागानों के मजदूर खतरनाक अनीमिया के शिकार हैं.

 17 प्रतिशत चाय बागाओं के मजदूर तीव्र यक्ष्मा के मरीज हैं.

 2007 और जून 2014 के मध्य चाय बागानों के बीच 9500 से ज्यादा बच्चों की तस्करी हो चुकी है.

 95 प्रतिशत चाय बागान के मजदूरों के घर में शौचालय की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है.

 1,25,000 छोटे चाय उत्पादक बिना ज़मीन पट्टे के काम कर रहे हैं.

 चाय असम की शान है. और अगर बीबीसी की रिपोर्ट की मानें तो एक चाय बगान मजदूर बाजार में चाय की कीमत का एक प्रतिशत भी नहीं कमा पाता. अगर कांग्रेस का विरोध केवल विचारधारात्मक तरीके से सिद्धांतों और मूल्यों पर करना होता तो बात अलग थी. पर असम में पिछले 15 सालों में व्यवस्थित और संस्थागत तरीके से जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसका प्रमाण इन दो तथ्यों से साफ़ ज़ाहिर होता है:

 2001-2002 से 2013-2014 के बीच 58 विभागों के 11834.24 करोड़ रूपए के ग्रांट्स के उपयोगिता प्रमाण पत्र अभी तक केंद्र सरकार को नहीं मिले. इतने बड़े तादात में जनता के पैसों के घालमेल के लिए स्वयं मनमोहन सरकार ने तरुण गोगोई को डांट पिलाई थी.

 आज तक 822 निरीक्षण रिपोर्ट्स जिसमें 1,80,000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं हैं उन पर भी तरुण गोगोई चुप्पी साधे बैठे हैं. इन सब से इतर भारतीय जनता पार्टी के दो वर्षों से भी कम समयावधि में असम के लिए जो विशेष कार्य किये गए, उनसे यह विश्वास जगता है कि एकमात्र यही पार्टी है जिसपर भरोसा कर जनमत अपने कल्याण की जिम्मेवारी श्री सर्बानंद सोनोवाल जी जैसे मुख्य मंत्री के हाथों सौंप सकता है. केन्द्रीय सरकार ने असम के विद्युतीकरण को लेकर जो लक्ष्य तय किये थे, वे शत प्रतिशत हासिल हुए. बराक की घाटी सिलचर से नयी दिल्ली तक रेल सेवा की शुरुआत कर आजादी के 69 सालों बाद असम के इस भाग को भारतीय मुख्यधारा से जोड़ने का निर्णायक कदम उठाया गया. असम के युवा उद्यमियों के लिए 64968.51 करोड़ रुपये केंद्र से निस्त्रित कर सरकार ने सुरक्षित, विकसित और सर्वश्रेष्ठ असम की नींव रखी है.

अभी हाल ही में संपन्न हुए दक्षिण एशियाई खेलों की मेहमानवाज़ी असम को सौंप कर केन्द्रीय युवा और खेल मंत्री श्री सोनोवाल जी ने जिस सफलता पूर्वक खेल जगत में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक कीर्ति स्थापित की और असम के स्थानीय गौरव गमोसा और तिखोर, भूपेन दा के गीतों को विश्व स्तर पर सम्मानित किया, उससे उनके जातीय नायक की छवि निरंतर मुखरित हुई. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि श्री सर्बानंद सोनोवाल जैसे युवा, जुझारू, कर्मठ, दूरदर्शी और साफ़ छवि के नेतृत्व में असम प्रगति करेगा.

एक सजग और पढ़ी लिखी भारतीय नागरिक होने के नाते मेरा यह कर्तव्य है कि मैं अपनी शिक्षा को एक ऐसी दिशा दे पाऊं जिसके ज़रिये समाज के दबे कुचले, गरीब, हाशिये पर खड़े लोगों को उनके विकास और कल्याण में मदद मिल सके, उन्हें वे सभी सुविधाएँ बराबरी के साथ मिल सकें जिसके साथ वे अपने उत्थान की बात सोच सकें.ऐसा कोई कारण नहीं कि ब्रह्मपुत्र और बराक में कमल न खिले.

1 comment:

  1. Hello Shubhrastha ji,
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    I want to work with you in UP if you need manpower.

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